July 27, 2024

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चार्ली चैपलिन कहलाना बेइज्जती मानते थे, बेनजीर भुट्टो को दिया था हीरोइन बनने का ऑफर, 5 शादियां कीं और 5 तलाक लिए

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चार्ली चैपलिन कहलाना बेइज्जती मानते थे, बेनजीर भुट्टो को दिया था हीरोइन बनने का ऑफर, 5 शादियां कीं और 5 तलाक लिए

16 फरवरी को 103वीं बर्थ एनिवर्सरी पर विशेष
नयी दिल्ली : आई.एस. जौहर : एक ऐसा कलाकार जो एक्टर भी था, राइटर भी, फिल्में प्रोड्यूस कीं और डायरेक्ट भी कीं। कुछ लोगों ने उनकी फिल्मों को बी-ग्रेड माना, सरकारी योजनाओं का मजाक बनाने पर फिल्में बैन भी हुईं, मगर जौहर एंटरटेनमेंट का कम्प्लीट पैकेज थे। ये रिश्ते में प्रोड्यूसर यश जौहर के बड़े भाई थे, यानी करण जौहर के चाचा।
आई.एस. जौहर जितने अलबेले कलाकार थे, उतनी ही अतरंगी उनकी जिंदगी थी। उनका एक जुड़वां भाई भी था, जिसने उनकी ही गर्लफ्रेंड से शादी कर ली। जब उसने कोई क्राइम किया तो जेल में इनको डाल दिया गया। जौहर का अपनी पत्नी से तलाक लंबे समय तक चर्चा का मुद्दा रहा, क्योंकि ये उस समय आजाद भारत के पहले रजिस्टर्ड तलाकों में से एक था। इन्होंने 5 शादियां कीं, 5 तलाक लिए।
भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब पाक राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला समझौते के लिए अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ भारत आए थे, तो जौहर ने बेनजीर को अपनी फिल्म की हीरोइन बनने का ऑफर दे दिया था। जौहर खुद भी पाकिस्तान के निवासी थे, एक शादी में भारत आए और लाहौर में ऐसे दंगे शुरू हुए कि इन्हें भारत में ही बस जाना पड़ा। मेहमूद के साथ इनकी जोड़ी खूब हिट रही। अपने ही नाम पर इन्होंने 7 फिल्में भी बनाईं। इन्हें इंडियन चार्ली चैपलिन कहा जाता था, लेकिन ये इसे अपनी बेइज्जती मानते थे।
आज इन्हीं आई.एस. जौहर की 103वीं बर्थ एनिवर्सरी है, पढ़िए इनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से….
*जुड़वां भाई के अपराधों के लिए गए थे जेल*
इंदरजीत सिंह जौहर उर्फ आई.एस. जौहर ​​​​​। इनका जन्म 16 फरवरी 1920 को तलागंग, झेलम जिले में हुआ था, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से में आया। इनका एक जुड़वां भाई भी था। दोनों की शक्ल इतनी मिलती थी कि कई बार उसकी बदमाशी पर इनकी पिटाई हो जाती थी। जिस लड़की को ये बचपन से प्यार करते थे उससे जुड़वां भाई ने शादी कर ली।
ये काफी होशियार और पढ़ाई में अव्वल थे, लेकिन जुड़वां भाई एक अपराधी था। एक बार तो ये भी हुआ कि इनके भाई के अपराध के कारण इन्हें जेल जाना पड़ा। ये किस्सा खुद आई. एस. जौहर ने 1957 में हुए इंडियन फिल्म फेस्टिवल में सुनाया था।
पाकिस्तान में रहते हुए इन्होंने डबल MA किया था। पहला इकॉनोमिक्स में, फिर पॉलिटिकल साइंस में। इससे भी मन नहीं भरा तो इन्होंने LLB की पढ़ाई भी की। उस जमाने में एक साथ इतनी डिग्री हासिल करना अपने आप में बड़ी बात थी।
पाकिस्तान में रहते हुए इन्होंने डबल MA किया था। पहला इकॉनोमिक्स में, फिर पॉलिटिकल साइंस में। इससे भी मन नहीं भरा तो इन्होंने LLB की पढ़ाई भी की। उस जमाने में एक साथ इतनी डिग्री हासिल करना अपने आप में बड़ी बात थी।
दंगे इतने बढ़ गए कि पाकिस्तान अपने घर नहीं जा सके
1947 में आई.एस.जौहर अपने पूरे परिवार के साथ एक शादी अटेंड करने पाकिस्तान के लाहौर से पटियाला आए थे, इसी बीच लाहौर में दंगे ऐसे भड़के कि इनका परिवार वापस नहीं जा सका। कुछ समय बाद खबर आई कि शाह आलमी बाजार को पूरी तरह जला दिया गया है। वहीं हिंदू कॉलोनी जहां इनका घर हुआ करता था।
इसके बाद इनका परिवार कभी लाहौर नहीं लौटा और दिल्ली में बस गया। आई.एस. जौहर नौकरी के सिलसिले में जालंधर में ही रहे, लेकिन फिर 1949 में ये मुंबई चले आए।

फिल्मों से कैसे जुड़े?
आई.एस. जौहर लिखने में माहिर थे। उन्होंने फिल्म ‘एक थी लड़की’ लिखी थी। ये स्क्रिप्ट 40 के दशक के रूप के. शौरी को खूब पसंद आई और उन्होंने इस टाइटल के साथ फिल्म बनाई। ये बतौर लेखक इनकी पहली फिल्म थी। साथ ही इन्होंने फिल्म में एक हास्य कलाकार का रोल भी प्ले किया था, ऐसे में ये इनकी बतौर एक्टर भी पहली फिल्म रही।

अभिनय के साथ-साथ आई.एस. जौहर ने 12 फिल्मों का निर्देशन भी किया और करीब 4 फिल्में प्रोड्यूस कीं। इनमें बेवकूफ (1960), जौहर महमूद इन गोवा (1965), 5 राइफल्स (1974), नसबंदी (1978) शामिल हैं।
आई.एस. जौहर के निर्देशन में बनीं फिल्में नास्तिक, श्रीमती जी, श्री नगद नारायण, हम सब चोर हैं जैसी सभी फिल्में ए ग्रेड रहीं, लेकिन इन्होंने जिन भी फिल्मों को खुद बनाया, वो हमेशा बी-ग्रेड कही गईं।
आई.एस. जौहर के निर्देशन में बनीं फिल्में नास्तिक, श्रीमती जी, श्री नगद नारायण, हम सब चोर हैं जैसी सभी फिल्में ए ग्रेड रहीं, लेकिन इन्होंने जिन भी फिल्मों को खुद बनाया, वो हमेशा बी-ग्रेड कही गईं।
बंटवारे की आपबीती पर लिखी फिल्म हिट हुई
1954 में आई.एस.जौहर ने नास्तिक फिल्म लिखी और इसे डायरेक्ट भी किया। ये फिल्म एक ऐसे शख्स की कहानी थी जो जिंदगी के दुखों से परेशान होकर नास्तिक बन जाता है। ये कहानी उन्होंने बंटवारे के मंजर को देखकर अपने अनुभवों पर लिखी थी। ये फिल्म बड़ी हिट हुई थी। इस फिल्म में यश चोपड़ा उनके असिस्टेंट डायरेक्टर थे, जो बॉलीवुड के नामी फिल्ममेकर बने।
फिल्म का गाना देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान आज भी सुना जाता है।
फिल्म का गाना देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान आज भी सुना जाता है।
तलाक का ट्रेंड लाने वाले एक्टर, 5 शादियां और 5 तलाक
1942 में आई.एस. जौहर ने लाहौर में रहते हुए रामा बाइंस से शादी की थी, जिससे उन्हें दो बच्चे थे। कुछ सालों बाद 1949 में आई.एस. जौहर ने पत्नी से तलाक ले लिया। ये उस दौर की बात है जब तलाक एक कुप्रथा मानी जाती थी। इनका तलाक आजादी के बाद शुरुआती रजिस्टर्ड तलाकों में से एक था।
इन्होंने 5 शादियां कीं और 5 बार तलाक लिया। इन्हें ही फिल्म इंडस्ट्री में तलाक का ट्रेंड लाने का क्रेडिट दिया जाता है। इन्होंने एक्ट्रेस सोनिया साहनी से भी शादी की थी, जिन्होंने इन्हीं की फिल्म जौहर महमूद इन गोवा से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। पहली पत्नी के अलावा किसी से भी इनके कोई बच्चे नहीं हुए।

अपने नाम पर फिल्में बनाने का जुनून
1965 में आई.एस. जौहर ने अपने नाम पर फिल्म जौहर महमूद इन गोवा डायरेक्ट की और इसमें पैसे भी लगाए। फिल्म हिट होते ही ये इतने उत्साहित हो गए कि इन्होंने लगातार अपने ही नाम पर फिल्में बनाना शुरू कर दिया। वहीं इन्होंने 7 फिल्मों में अपना नाम जौहर ही रखा।

इंडियन चार्ली चैपलिन कहा गया तो बोले- ये मेरी तौहीन है
1957 में आई.एस.जौहर को लंदन में हुए इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बतौर स्पीकर बुलाया गया था। स्टेज पर उन्हें बुलाते हुए अमेरिकन पॉपुलर प्रोड्यूसर ने उन्हें इंडियन चार्ली चैपलिन कहा। ये स्टेज पर पहुंचे और कहा, ये पहली बार नहीं है जब किसी ने मुझे इंडियन चार्ली चैपलिन कहा हो, इससे पहले भी मेरी कई बार इस तरह तौहीन की गई है। मेरी जिंदगी कई दुर्भाग्यों से भरी रही है। या तो मुझे दूसरों के कुकर्मों का क्रेडिट मिला या मेरे अच्छे कर्मों का क्रेडिट किसी और को दिया गया।

बी.आर. चोपड़ा का करियर पटरी पर लाए
50 के दशक में बी.आर. चोपड़ा की फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थीं। निराश बी.आर.चोपड़ा ने फिल्मी दुनिया छोड़कर पत्रकारिता में जाने का फैसला कर लिया। बी.आर. चोपड़ा और आई.एस.जौहर लाहौर से दोस्त थे। पूरी कहानी जानने के बाद आई.एस. जौहर ने अपनी लिखी एक बेहतरीन स्क्रिप्ट उन्हें सौंप दी और फिल्म बनाने का हौसला दिया। बी.आर. चोपड़ा ने ऐसा ही किया।
फिल्म अफसाना (1951) रिलीज हुई और बी.आर. चोपड़ा का करियर फिर पटरी पर आ गया। वो इसका इतना एहसान मानते थे कि उन्होंने अपने छोटे भाई यश चोपड़ा को अपना असिस्टेंट डायरेक्टर बनाने के बजाय इनके पास भेज दिया।
आई.एस. जौहर हुनर के इतने पक्के थे कि फिल्मों के अलावा असल जिंदगी में भी ये हाजिर जवाबी से लोगों की बोलती बंद कर दिया करते थे। बड़ी-बड़ी महफिलों में इन्होंने कई लोगों का ऐसा मजाक बनाया कि लोग इनके सामने झिझकने लगे।
आई.एस. जौहर हुनर के इतने पक्के थे कि फिल्मों के अलावा असल जिंदगी में भी ये हाजिर जवाबी से लोगों की बोलती बंद कर दिया करते थे। बड़ी-बड़ी महफिलों में इन्होंने कई लोगों का ऐसा मजाक बनाया कि लोग इनके सामने झिझकने लगे।
मेनका गांधी की मैगजीन के लिए लिखते थे ब्लॉग
1978 में जब मेनका गांधी ने सूर्या नाम की मैगजीन लॉन्च की तो इस मैगजीन का एक हिस्सा आई.एस. जौहर के खाते में आया। वो इस मैगजीन में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्य लिखते थे।

फिल्मफेयर मैगजीन में छपता था इनका मजेदार कॉलम*
पॉपुलर फिल्मफेयर मैगजीन में भी इनका एक कॉलम छपता था, जिसका नाम था क्वेश्चन बॉक्स। ये कॉलम बेहद पॉपुलर था, जिसमें लोगों के राजनीति और दूसरे मुद्दों से जुड़े सवालों पर ये मजेदार अंदाज में जवाब दिया करते थे। जिसका सवाल सबसे मजेदार होता था उस व्यक्ति को 50 रुपए का इनाम मिलता था।
1971 में आई फिल्म जॉनी मेरा नाम में आई.एस. जौहर ने ट्रिपल रोल निभाया। बेहतरीन कॉमिक रोल के लिए इन्हें बेस्ट परफॉर्मेंस इन कॉमिक रोल के लिए पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था।

हॉलीवुड तक थी इनके काम की चर्चा, ऑस्कर विनिंग फिल्म में किया था काम
इन्होंने 1958 की हॉलीवुड फिल्म हैरी ब्लैक से हॉलीवुड डेब्यू किया था। इसके अलावा ये नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर, लॉरेंस ऑफ अरेबिया, डेथ ऑन द नाइल जैसी हॉलीवुड फिल्मों में नजर आ चुके हैं। फिल्म हैरी ब्लैक के लिए इन्हें बेस्ट ब्रिटिश एक्टर की कैटेगरी (ब्रिटिश एकेडमी फिल्म अवॉर्ड) में नॉमिनेशन मिला। ये नॉमिनेशन हासिल करने वाले ये पहले इंडियन एक्टर थे।
आई.एस.जौहर को क्रिकेट के साथ राजनीति में भी खासी दिलचस्पी थी। ये अपने मजाकिया अंदाज से कई राजनेताओं की बोलती बंद कर दिया करते थे। इनके मजाक की भेंट समाजवादी पार्टी के नेता राज नारायण भी चढ़े थे, जब गुस्से में इन्होंने ऐलान किया था कि नारायण जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ूंगा। नारायण इनसे खूब परेशान रहते थे और शायद इनका यही बर्ताव लोगों को नापसंद था।

फिल्मों के जरिए देते थे राजनीतिक मुद्दों का जवाब
इन्हें राजनीति में ऐसी दिलचस्पी थी कि ये किसी भी राजनीतिक कैंपेन या बड़े फैसले का मजाक अपनी फिल्मों के जरिए बनाते थे। जब गोवा को आजाद करवाने की बात की जा रही थी तो इन्होंने इसी मुद्दे पर जौहर इन गोवा बना डाली। वहीं कश्मीर के मुद्दे पर इन्होंने जौहर इन कश्मीर बनाई। बांग्लादेश का विवाद हुआ तो इन्होंने जय बांग्लादेश फिल्म से नेताओं का खूब मजाक बनाया।

सरकार का ऐसा मजाक बनाते थे कि फिल्में हो जाती थीं बैन
70 के दशक में कांग्रेस सरकार ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए नसबंदी कैंपेन के जरिए बर्थ कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश की थी। इस मुद्दे पर आई.एस. जौहर ने नसबंदी (1978) बनाई। फिल्म में नसबंदी कैंपेन का ऐसा मजाक बनाया गया कि बेइज्जती के डर से कांग्रेस सरकार ने ही फिल्म पर बैन लगा दिया। इमरजेंसी पर लिखे गए इनके प्ले पर भी रोक लगा दी गई थी। 1982 में इनका लिखा प्ले भुट्टो भी बैन कर दिया गया था।

बेनजीर भुट्टो को दिया था हीरोइन बनने का ऑफर
1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान को हार मिलने के बाद 1972 में वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भारत आए। मकसद था शिमला समझौता। जुल्फिकार के साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी भारत आई थीं। आई.एस. जौहर इतने बेबाक थे कि इतने सेंसिटिव मुद्दे के बीच उन्होंने 18 साल की बेनजीर भुट्टो को अपनी फिल्म में हीरोइन बनने का ऑफर दे दिया। उनके इस ऑफर की भारत समेत बांग्लादेश, पाकिस्तान में भी खूब चर्चा हुई।

1972 में भारत विजिट पर आए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलते हुए।

क्या था बेनजीर भुट्टो का जवाब?
बेनजीर ने इस बात पर नाराजगी नहीं जताई और शालीनता से उन्हें जवाब दिया कि वो जीवन में कुछ और करना चाहती हैं। आईएस जौहर ने भले ही अपनी फिल्मों से लोगों को खूब गुदगुदाया, लेकिन उनके मजाकिया मिजाज के कारण लोग उनसे दूर होने लगे। 70 के दशक में जब लोगों का साथ छूटता गया तो ये अकेले ही रहने लगे। इनके साथ इनके दो बच्चे अनिल और अंबिका भी रहते थे। कुछ लोग तो इन्हें पागल समझने लगे थे।

आखिरी इच्छा : मेरी मौत की खबर किसी को मत देना
10 मार्च 1984 को आई.एस. जौहर का लंबी बीमारी से निधन हो गया। इन्होंने मौत से दो-तीन दिन पहले ही अपने बच्चों से कहा था कि वो नहीं चाहते उनके मरने पर किसी को खबर की जाए। ऐसे में जब उनका निधन हुआ तो बच्चों ने किसी को खबर नहीं दी। चंद लोग इकट्ठा हुए जो इन्हें सायन इलेक्ट्रिक श्मशान ले गए और वहां जल्द से जल्द इनका अंतिम संस्कार किया गया।
आई.एस. जौहर ने बेटे के सामने एक और अंतिम इच्छा रखी थी। वो ये कि जब उनकी मौत की खबर अखबार में छपे तो वो अखबार उन तक पहुंचाया जाए।

Charlie Chaplin considered it an insult, offered Benazir Bhutto to become a heroine, did 5 marriages and got 5 divorces

Special on 103rd Birth Anniversary on 16 February
New Delhi: I.S. Johar: An artist who was an actor as well as a writer, produced and directed films. Some people considered his films to be B-grade, films were also banned for making fun of government schemes, but Johar was a complete package of entertainment. In this relationship, he was the elder brother of producer Yash Johar, i.e. Karan Johar’s uncle.
Ice. Johar was as careless an artist as his life was. He also had a twin brother, who married his own girlfriend. When he committed a crime, he was put in jail. Johar’s divorce from his wife was a point of discussion for a long time, as it was one of the first registered divorces in independent India at that time. He did 5 marriages, got 5 divorces.
After the Indo-Pakistani War, when Pakistan President Zulfikar Ali Bhutto came to India with his daughter Benazir Bhutto for the Shimla Agreement, Johar offered Benazir to be the heroine of his film. Johar himself was a resident of Pakistan, came to India in a marriage and such riots started in Lahore that he had to settle in India. Her pairing with Mehmood was a huge hit. He also made 7 films in his own name. He was called the Indian Charlie Chaplin, but he considered it an insult.
Today these I.S. It is Johar’s 103rd birth anniversary, read some unheard stories of his life.
Went to jail for the crimes of the twin brother
Inderjit Singh Johar alias I.S. Jauhar He was born on 16 February 1920 in Talagang, Jhelum district, which became part of Pakistan after partition. He also had a twin brother. The looks of both of them were so similar that many times they used to get beaten up for their misbehaviour. The twin brother married the girl whom he loved since childhood.
He was very intelligent and topper in studies, but the twin brother was a criminal. It even happened once that he had to go to jail because of his brother’s crime. This story itself I.S. Johar narrated at the Indian Film Festival in 1957.
in Pakistan

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