समरेश सिंह की बहू डॉक्टर परिंदा सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा
1 min readबोकारो : झारखंड के बड़े नेता रहे स्वर्गीय समरेश सिंह की एक बहू डॉक्टर परिंदा सिंह ने आज कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, राज्य के प्रतिपक्ष के नेता अमर बाउरी और बोकारो विधायक विरंची नारायण इस अवसर पर विशेष तौर पर उपस्थित थे। यह घटना आज रांची स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में घटित हुई।
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स्वर्गीय समरेश सिंह ने अपनी जिंदगी में भरपूर प्रयास किया कि उनकी राजनीति विरासत का वारिस शांति के साथ उनकी गद्दी पर बैठ जाए। लेकिन इसके लिए न उनका परिवार एक मत हुआ और ना ही बोकारो की जनता ने ही उनका साथ दिया। परिवार की दो बहू इस विरासत पर काबिज होने के लिए आमने – सामने खड़ी हो गई। विवाद के और भी पारिवारिक कारण होंगे, लेकिन इस विरासत ने दोनों को एक प्रकार से दुश्मन जैसा बना दिया।
खैर, एक बहू श्वेता सिंह को गत विधानसभा चुनाव में जैसे -तैसे कांग्रेस का टिकट बोकारो विधानसभा के एम लिए मिला तो दूसरी बहू परिंदा सिंह ने चास नगर निगम मेयर का चुनाव लडा। क्षेत्र की जनता ने दोनों को नकार दिया।लेकिन श्वेता सिंह का कद खास कर झारखंड कांग्रेस में परिंदा के मुकाबले काफी बढ़ गया। नतीजा यह हुआ कि लाख प्रयास के बाद भी परिंदा सिंह कांग्रेस में कोई भी सम्मानित पद नहीं पा सकी। श्वेता सिंह उनकी इस चाह के बीच पहाड़ जैसी खड़ी थी। वे कांग्रेस में छटपटा रही थी।
इसी बीच भाजपा,झारखंड में JVM राज का उदय हुआ। JVM के सर्वेसर्वा रहे बाबूलाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तो JVM से पहली बार विधायक बने अमर बाउरी भाजपा विधायक दल के नेता बन गए। स्वर्गीय समरेश सिंह का इन दोनों से काफी गहरा रिश्ता था और दादा भी कुछ ही समय के लिए सही JVM के बड़े नेता थे। परिंदा जी को भाजपा में भविष्य दिखा और वे आज उसकी हो गई। भाजपा में उनका भविष्य निश्चित ही कांग्रेस से बेहतर होगा, यह भाजपा के वर्तमान प्रदेश नेतृत्व को देख कर समझा जा सकता है लेकिन कितना बेहतर यह तो भविष्य ही बताएगा?
अंत में, एक दल में रहते हुए जो दिल से एक – दूसरे के दुश्मन थे अब दल के कारण भी आमने – सामने है और देखना यह होगा कि एक घर की दो बहुएं सार्वजनिक जीवन और मंच से एक – दूसरे को कैसे सम्मानित करती है?