उत्कल दिवस: भाषा व संस्कृति ही हमारी पहचान है -कामाख्या प्रसाद सारंगी
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खरसावां के गोपबधु दास एव सरायकेला के गीप बधु व उत्कल गौरव मधुसूदन दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया इस दौरान ओड़िया समुदाय के लोगों ने अपनी भाषा व संस्कृति को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया ओड़िया समाजसेवी कामाख्या प्रसाद सारंगी ने कहा कि भाषा व संस्कृति ही हमारी पहचान है इसकी उत्थान के लिए सभी को संगठित होकर कार्य करना होगा उत्कल सम्मेलनी के पूर्व जिला अध्यक्ष हरीश चंद्र आचार्य ने ओड़िया भाषा में बोलचाल पठन-पाठन को भी बढ़ावा देने पर बल दिया क्यों मनाया जाता है उत्कल दिवस 1 अप्रैल 1936 की भाषा के आधार पर स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश का गठन किया गया था तभी से 1 अप्रैल को उत्कल दिवस मनाया जाता है इसी दिन उड़ीसा प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभूतियों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है इस कार्यक्रम में उपस्थित थे
कामाख्या प्रसाद सारंगी हरीश चंद्र आचार्य सुमंत चंद्र महंती बिरोजा पत्ती अजय प्रधान सुशील सारंगी सपन मंडल भरत चंद्र मिश्रा रंजीत मंडल चंद्रभानु प्रधान रश्मि रंजन मिश्रा श्रीमती लक्ष्मीप्रिया कर सुष्मिता आचार्य रेणु महाराणा सविता विषय पद्मासिनी प्रधान रंजीता महानती रीना मिश्रा शक्ति पति जसना महापात्र सपना नायक सविता विषय आदि उपस्थित थे |