सरायकेला के बड़बिल स्थित आदिवासी सांस्कृतिक भवन परिसर में आदिवासी हो समाज महासभा द्वारा ओत गुरू कोल लाको बोदरा की 105 वीं जयंती मनाई गयी
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सरायकेला के बड़बिल स्थित आदिवासी सांस्कृतिक भवन परिसर में आदिवासी हो समाज महासभा द्वारा ओत गुरू कोल लाको बोदरा की 105 वीं जयंती मनाई गयी।कार्यक्रम में झारखंड सरकार के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किये। कार्यक्रम में कला केंद्र परिसर में अवस्थित ओत गुरू के आदमकद प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि भाषा संस्कृति ही हमारी पहचान है इससे आगे बढाना हम सबों का दायित्व है।देश में सभी समाज का अपना भाषा है यहीं पहचान भी है।हो भाषा को संविधान के आठवीं अनुसुचि में शामिल करने के लिए पुरे कोल्हान से सरायकेला प्रखंड से सार्वधिक लोग जंतर मंतर पहुंच कर अपनी भाषा को लेकर आवाज बुलंद करने का काम किया था।
संबोधित करते हुए जिला परिषद अध्यक्ष सोरनाराम बोदरा ने कहा कि भाषा संस्कृति ही हमारी पहचान है इससे विकसित करना है।बोदरा ने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार काफी अच्छा काम कर रही है जबकि स्थानिय विधायक व राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन के नेतृत्व में भाषा संस्कृति को संरक्षित कर विकास करने का प्रयास किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि बडबिल चौक में वारंग क्षिति लिपि के जनक लाको बोदरा की आदमकद प्रतिमा मंत्री के प्रयास के कारण ही लग पाया है।कार्यक्रम को डीडीसी प्रवीण कुमार गागराई, आदिवासी हो समाज के कृष्ण चंद्र बोदरा ने भी संबोधित किया और समाज को उनके बताये मार्गो में चलने एवं लिपि का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कर शिक्षित समाज का निमार्ण करने की बात कहा। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आदिवासी युवक युवतियां नृत्य गीत प्रस्तुत कर समां बांधा।संचालन आदिवासी हो समाज महासभा के मनोज सोय ने संचालन किया।मौके पर काफी संख्या में सावन सोय,वकील सोरेन, सानद आचार्य, सावित्री कुदादा, यमुना हेंब्रम के अलावे आदिवासी हो समाज महा सभा के कई सदस्य उपस्थित थे।